
जोरसंग की उम्र 52 साल है। करगिल युद्ध हुआ तो वो बटालिक सेक्टर में बतौर पोर्टर सेना के साथ जुड़े थे। उन्होंने करीब एक हफ्ते वॉलेंटियर के तौर पर काम किया था। जोरसंग अब लद्दाख में एक गेस्ट हाउस चलाते हैं। वे लद्दाख होटल एसोसिएशन के लीडर भी हैं।वे कहते हैं, "जितना नुकसान इस बार कोरोना और चीन सीमा पर हालात खराब होने से हुआ है, उतना करगिल के वक्त भी नहीं हुआ था।"
पहले कोरोना और अब चीन सीमा पर बिगड़े हालात के चलते इस साल लद्दाख के टूरिज्म को 400 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। ये लद्दाख के टूरिज्म सेक्टर में काम कर रहे एसोसिएशन का कैलकुलेशन है।

लद्दाख में टूरिज्म सीजन बहुत छोटा होता है। अप्रैल से लेकर सितंबर तक। जबकि यहां की जीडीपी का 70-75 % हिस्सा टूरिज्म से आता है। पूरे लद्दाख की आबादी 3 लाख है और इस आबादी का 80 प्रतिशत हिस्सा टूरिज्म पर ही निर्भर है। हर घर के कम से कम 3 लोग टूरिज्म से जुड़े किसी काम के जरिए अपना रोजगार हासिल करते हैं।
जोरसंग बताते हैं, "करगिल युद्ध हुआ तब विदेशी पर्यटक ज्यादा आते थे। युद्ध बमुश्किल महीने-डेढ़ महीने चला। लेकिन तब भी फ्लाइट लेह आ-जा रहीं थीं और पर्यटक भी। इस बार मार्च में लॉकडाउन लग गया और सीजन शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।"

जोरसंग बताते हैं, "करगिल युद्ध तक लद्दाख आने वाले 80% पर्यटक विदेशी ही होते थे। इसके बाद डोमेस्टिक टूरिस्ट बढ़े। फिलहाल यहां सबसे ज्यादा टूरिस्ट महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, कोलकाता और दक्षिण भारत से आते हैं।"
मुस्तफा और उनके भाई गुलाम मोउद्दीन लद्दाख के सबसे बड़े होटल ग्रैंड ड्रैगन के मालिक हैं। उनके पिता हाजी दीन मोहम्मद ने चार कमरों के साथ 1976 में यह होटल शुरू किया था। आज उनके होटल में 70 से ज्यादा कमरे हैं। मुस्तफा कहते हैं कि 1974 में लद्दाख को टूरिस्ट के लिए खोला गया और उसके दो साल बाद उनके पिता ने ये गेस्ट हाउस खोला। पिता अब 85 साल के हैं और अब उनके घर के छह बच्चे मिलकर ये होटल चला रहे हैं।

मुस्तफा कहते हैं कि उन्होंने भी युद्ध में बतौर पोर्टर जाने के लिए अपना नाम दिया था, तीन दिन बाद उन्हें जाना ही था कि युद्ध ही खत्म हो गया। मुस्तफा के होटल में आमिर से लेकर शाहरुख, सलमान, कैटरीना, अनुष्का, जैक्लीन सब रुक चुके हैं। हर साल 30 हजार गेस्ट उनके होटल में रहने आते हैं। 6-7 करोड़ का टर्नओवर है। लेकिन, इस बार सब खत्म है। लॉकडाउन लगा तो उनका ज्यादातर स्टाफ घर लौट गया।
दो हफ्ते पहले जब स्थानीय प्रशासन से 3-4 राउंड की मीटिंग के बाद उन्हें होटल फिर शुरू करने की इजाजत मिली तो जो स्टाफ के कुछ लोग यहीं फंसे रह गए थे तो उन्हीं के साथ होटल को फिर से खोला गया।

देश के मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन लद्दाख में बाहर के होटल और होटल चेन को आने की इजाजत नहीं है। यहां के ज्यादातर होटल किसी वक्त में 2 कमरों के गेस्ट हाउस से शुरू हुए थे। आज यहां 400 से ज्यादा होटल, गेस्ट हाउस, होम स्टे और कैम्प हैं। सभी के मालिक स्थानीय लद्दाखी लोग ही हैं।

लद्दाख के टूरिज्म इकोनॉमी का अहम हिस्सा टैक्सी वाले हैं। 4000 टैक्सी और 1000 से ज्यादा बाइक लद्दाख आनेवाले पर्यटकों की सवारी बनती हैं। टैक्सी एसोसिएशन के सदस्य चोसबल कहते हैं कि उनके पास कई ऐसे परिवार आए जिनके घर की रोजी हर दिन टैक्सी चलने पर ही चलती है। उनके पास खाने-पीने की भी दिक्कत होने लगी है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके लिए कोई पैकेज लाएगी ताकि लद्दाख में टैक्सी चलानेवाले 4000 लोग गुजारा कर सकें।

सेरिंग नामगियाल अलटोवा एसोसिएशन के प्रवक्ता हैं। वे कहते हैं, "लेह से करगिल 230 किमी दूर है इसलिए करगिल युद्ध के दौरान इतनी दिक्कत नहीं हुई। कुछ बुकिंग कैंसल हुए थे, लेकिन इस बार 100% बुकिंग कैंसिलेशन हो गया। 1974 से अब तक की हिस्ट्री देखेंगे तो 2020 सबसे दुखद और टूरिज्म के लिहाज से सबसे बुरा साल रहा है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
https://ift.tt/2YSaJkt
From Dainik Bhaskar
0 Comments
Please do not enter any Spam Link in the comment box.